आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है। हाशिए पर खड़े समाज की आवाज बनने का नेशनल दस्तक एक प्रयास है। नेशनल दस्तक सामाजिक सरोकार से जुड़े लोगों की सामूहिक पहल है जिसके परामर्शदाता मंडल में गणमान्य सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, ग्रामीण व शहरी उद्यमी युवा, इंवेस्टिगेटर्स, डॉक्टर, इंजीनियर, स्ट्रिंगर्स आदि शामिल हैं।

इसके साथ साथ हमारा यह भी प्रयास है कि हम देश के कोने कोने से 50 लाख वालंटियर को जोड सके ताकि समाज के उस हिस्सो के मुद्दों को उठा सके जिसकी कोई आवाज़ नहीं बनना चाहता।

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